कुछ ऐसे रहे होगे दिनकर जी


 1- कभी वो भी बेबश और लाचार हुये होगे 

जेठ की दुपहरी की भाति छिन्नतार हुये होगे 

हसना भी रहा होगा रोना भी लगा होगा 

वरना ऐसे ही हर शक्स के जुबा पर वो खुमार हुए न होते 

2- कभी वे भी इस दुनिया पर आक्रांत हुये होगे 

चाभुर बाधते हुये अपने दिल पर ही घूसे मारे होगे 

एक कश्मकश रही होगी एक आशा भी रही होगी 

तभी तो एक चित्त बने रहे वरना एक दो कदम टिके न होते 

3- कभी उनको प्रीति और प्रतीति का मार्ग श्रेष्ट लगा होगा 

इसलिये स्वतंत्रता स्वराज उनका ध्येय रहा होगा 

जले होगे वो भी तिल तिल रोज जब भारत पराधीन रहा होगा 

दिल में एक आग था साहस और लगन था वरना वो सफल न होते 

4- नारी और नर जनमानस के प्रति उनके दिल में मर्माहत होगे 

लोग केवल रचनाये देखते होगे उसमे सुंदरता और सजावट देखते होगे 

कोई उनके दिल को न जाना होगा न ही समझा होगा 

ऐसी रचनाये भी बन न पाती जब तक वो खुद को अर्पित किये न होते 

5- कभी कभी कलम रुक गया होगा कभी कलम भी न चलते होगे 

कभी कलम के काम आसू ही करते होगे 

दिल निकल आया होगा कभी पन्नो पर ऐसे भी दिन रहे होगे 

ऐसे खुद को पेश न कर पते जब तक दुःख दर्द को भूले न होते 

6- "हुँकार " सिर्फ हुँकार नहीं वह शेर जैसी दहाड़ है 

लिखे होगे वे हर रात दिन रो रोकर वो वक्त गवाह है 

किस परिस्थिति का सामना कए होगे किस हाल में रहे होगे 

कितनी रात गिने होगे ऐसे ही जग कर वरना ऐसे मिशाल बने न होते 

7- लोग तो फुर्सत में थोडा हस भी लिया करते है 

ऐसे भी है जो खुद के लिए हर वक्त जिया करते है 

"जनतंत्र का जन्म "लोग पाकर भावुक हुये होगे 

सच सामने आ जाती उनकी बेबशी में खुद को सम्भाल लिए न होते 

8- क्रांति ओज विद्रोह राष्ट्रीयता उम्का ध्येय रहा होगा 

दिन रात एक किये होगे ऐसी लगन रहा होगा 

उनके हर एक शब्द में राष्ट्र प्रेम झलकता है 

हृदय अर्पित न होते तो उनके रचनाओ में निःस्वार्थ प्रेम न झलकते 

9- उनकी पीड़ा एक कसक बन गयी उनके दिल में एक घर बन गयी 

ह्रदय में क्रंदन बातो में उत्साह सत्य उनकी पहचान बन गयी 

उन्होंने पराधीनता के दुःख का स्वंय अनुभव किया था 

नहीं तो उनके शब्दों में आहत करने वाले धार न होते 

10- प्रसन्न चित्त रहे होगे उनके भी मन पुलकित हुये होगे 

जब लोग उनकी रचनाओ को नहीं भावनाओ को समझे होगे 

फिर भी उन्हें फ़िक्र क्या लिख दू इसका रहा होगा 

नहीं तो मरने से पहले अंतिम समय में वो कुछ  प्रयास किये न होते 


मास्टर मुकेश 



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