कब तक


 1- पानी में कागज का नाव रहेगा कब तक 

सूखी बॉस की छाव रहेगा कब तक 

डूबने वाला भी पानी में तरयेगा कब तक 

पानी में पड़ा मुर्दा भी दिखायेगा कब तक 

2- आशा की नाव को कोई चलाएगा कब तक 

नहीं दिखा मुझे कोई होनहार अब तक 

बेचैन होकर कोई भी पड़ा रहेगा कब तक 

कोई सुधि लेने आया नहीं अब तक 

3- ऐसे ही कोई राही अनायास चलेगा कब तक 

उसको किसी से पैगाम कुछ भी नहीं मिला अब तक 

डगर इतनी कठोर है जो काटने को दौड़ती है 

एक सच्चा चालक भी नहीं मिला उसे अब तक 

4- चलना है बस चलना है दूर अभी चलना है 

ऐसा कोई भी कहता फिरेगा कब तक 

मंजिले भी हो मूल भी हो उसमे भी  गूढ़ हो 

नहीं तो सबको भटकना पड़ेगा तब तक 

5- ये दुनिया है यहा सब कुछ जायज है 

इसको कौन कितना समझा है अब तक 

समझने का प्रयास छोड़ दे झूठी आश छोड़ दे 

तू व्यर्थ का लाज शरम छोड़ेगा कब तक 

6- देख तू बहार क्या नहीं देखा अब तक 

बहार ही सही लेकिन सच देखेगा  कब तक 

जैसा बाहर है वैसा ही भीतर है 

इसमे संदेह करेगा तू कब तक 

7- व्यर्थ पड़ेगा चक्कर में दुसरो के कब तक 

क्षणभर भी नहीं सोचा तूने खुद के बारे में अब तक 

जब तक होश है सम्भल जा 

कही देर ना हो जाये सोचने में तब तक 

8- कसक है बेबशी है एक बड़ी उलझन है 

आखिर ये आधी रात रहेगा कब तक 

हर वक्त आता है चला भी जाता है 

कोई भी घडी किसी के पीछे पड़ा रहेगा कब तक 

9- सब कुछ है फिर कौन रहेगा कब तक 

नाज खुद पर ना करना ये सासे भी रहेगी कब तक 

मान रहित होकर फ़िक्र छोड़ बस मौज कर तू 

सूरज ही नहीं न जाने कितना सबेरा बदला अब तक 

10- सारी बातो के साथ जो बीती रात 

उन सबकी जिक्र है बस अब तक 

एक बात अच्छी तरीके से समझ ले तू 

कोई किसी से अपेक्षा या उम्मीद करेगा कब तक 


मास्टर मुकेश 


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