कभी भी


 1- ये दबी हुयी आग भडकेगा कभी भी 

देर से सही ये सचमुच जलेगा कभी भी 

झूठ को एक क्षण के लिये पैदा किया जाता है 

सत्य तो सत्य ही है इसका अस्तित्व रहेगा कभी भी 

2- मुझसे हो या ना हो किसी और से होगा 

हर झूठी पहचान की इतिहास जलेगा कभी भी 

सफर थोडा कठिन है इसलिये कठिनाई भी होगा 

फिर भी हमें तुम्हे एक अच्छा अंजाम देना ही है कभी भी 

3-हर अधूरे काम को कोई न कोई जरुर करता है कभी भी 

कोई करे या ना करे वह वैसा ही रहता है कभी भी 

मुझे या तुझे फिर आना जरुर पड़ेगा कभी भी 

क्योकि खुद मंजिल हमारी प्रतीक्षा करेगा कभी भी 

4- जलती लकड़ी का स्वरूप ऐसा ही होता है 

पानी पड़ने के बाद धुँआ सुलग सकता है कभी भी 

तुम भी कभी न दबाना कभी न हार मानना 

यह समय भी जरुर बदल सकता हा इ कभी 

5- गिनती की शुरुआत एक से होती है 

लेकिन वह अनन्त तक पहुच जायेगा कभी भी 

तिनका को कभी भी तिनका मत समझना 

क्योकि वह भी सहारा दे सकता है कभी भी 

6- मै तुम ही नहीं ये संसार बदल जायेगा कभी भी 

तुम्हारे होने न होने से इसका अस्तित्व न बलेगा कभी भी 

ये जैसा भी है जो भी है यथावत रहेगा ही 

बारिश हो या ना हो गंगा की धारा न बदलेगी कभी भी 

7-आग जो जली है उसे कोई हवा देगा कभी भी 

बुरे वक्त को हसकर कोई भुला देगा कभी भी 

याद रह जाती है केवल चमकती कुन्दन 

मुश्किलें मंजिल पाने के बाद नहीं याद रहता कभी भी 

8- अनायास ही किसी क्षण मै लिख लेता हू कभी भी 

ऐसे ही न जाने कोई औए भी लिख देगा कभी भी 

मुझे ना कवि बनना है ना सोहरत पाना है 

क्योकि ये कागज और कलम मुझसे जुदा हो जायेगे कभी भी 

9-मै ही नहीं मेरे जैसे बहुत रहे है कभी भी 

पूरी इतिहास बदल दिये थे कभी भी 

किसको कहा फुर्सत है कौन जानता है किसको 

हकीकत में मेरे भी नाम को भूला दिया जाएगा कभी भी 

10- मै भी किसी रूप में सिर्फ प्रयास कर सकता हू 

किस किसके लिये और कब तक करुगा कभी भी 

मै भी किसी और की राह देख रहा हू 

मुझे भी अपना सम्बल मिल जायेगा कभी भी 

11- जिससे हम प्यार करते है वह दुःख देगा  कभी भी 

जो आज अपने है वह रूठ जायेगे  कभी भी 

समझ तो मुझे भी खूब है इन आईनों के बारे में 

आख़िरकार बंद पिजड़े से परिंदा उड़ जायेगा  कभी भी 

12- चुनाव करते समय सोच समझ कर करना  कभी भी 

खिली हुयी कलिया तोड़ लिये जायेगे  कभी भी 

चेहरे तो सब है स्पष्ट दिखाई भी देता है 

किसी के अंतर्मन को तुम पढने का प्रयास न करना  कभी भी 

13- हँसी चेहरे को देखकर मत कुछ समझना कभी भी 

दुसरे को देखकर वैसा कुछ नहीं करना कभी भी 

तुम्हे क्या पता आख़िरकार कौन है कैसा है 

सारी बात तुम्हे समझ आये या न आये  कभी भी 

14-ये दर्द के आसू किसी को मत दिखाना  कभी भी  

लाचार और बेबश अपने को तुम मत समझना  कभी भी  

सबकी अपनी कहानी है फिर भी लोग दुसरो पर हसते है 

तुम किसी और का किसी से मत तुलना करना कभी भी 

15- तुम मत टालना ये हो जायेगा काम  कभी भी  

कोई पा नहीं जाता मुकाम ऐसे ही  कभी भी  

जो तुम्हे पाना है उसमे नित् रत संलग्न हो जाओ 

मिल जाएगा तुम्हे भी कोहिनूर हीरा अवश्य ही  कभी भी  

16-तू समझ आज जो अच्छा है बूरा बन सकता है  कभी भी 

जिस सपने को हम संजो रहे है वह बिखर सकता  कभी भी 

बिल्कुल मत पड़ना इस  कभी भी के चक्कर में 

क्योकि ऐसा सोचने में वह क्षण गुजर जायेगा  कभी भी 


मास्टर मुकेश 




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