बोल मीठा बोल



1 बड़ी महगी जिंदगानी रे फिर सस्ती क्यों है जवानी रे 

न रहेगा रूप तन इसे माटी में ना रोल  बोल मीठा बोल 

2 सोचो जरा करो विचार मानव जन्म नही हर बार 

अंहको दे अपने छोड़ साधुबानी बोल बोल मीठा बोल 

3 मौजा फिजा ये शमा भी तेरे काम न आयेगी

 दो बूद अश्क से आराम न आयेगी 

गम को दे अपने छोड़ फिर कोई ना हो मन झोल बोल मीठा बोल 

4 देख जरा हालत अपनी भूली बिसरी यादो जैसी 

कौन क्या है कैसा सबको पैसे से न कर मोल बोल मीठा बोल 

5 आपना -आपना करता है सपना सब हो जायेगा 

एक चादर चार कन्धो से चार परग देगे छोड़ बोल मीठा बोल 

6 हिंदू ना मुसलमान कोई ना सिख्ख ना इसाईं 

रगों में लहु एक रंग की सब मानव धर्म बोल बोल मीठा बोल 

7 यह दुनिया बेगाना रे इसे छोड़ तुझे अपने घर को जाना रे 

निर्मल वाणी  बोल इसे तराजू से तोल बोल मीठा बोल 

                                                                                               मास्टर मुकेश 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने