नये चेहरे


 1- इस कायनात को हम रोज देखते है 

गौर से देखो तुम ये अपनी छठा बिखेरते है 

कुसुम प्रवास सरोवर वन देख नये तरुवर को 

एक आकर लिए एक भाव लिए देख नये चहरे को 

2- हर रोज नये रूप को देखते हम जरुर है 

नया कुछ मिलता इसलिए आकाश निहारते जरुर है 

देखते ऐसे जैसे हम अपने को देखा रहे है 

बिन बिचारे बिन हलचल के नयना टकराते जरुर है 

3- एक नयी कालिया खिली खेतो में गेहू की बलिया खिली 

आसा रहित वन में जैसे तरुवर में फलिया खिली 

अभिनन्दन बंदन करते हुए नए मेहमानों का ये नन्ही चिड़िया खिली 

इनको देखकर ही कही न कही ह्रदय की ये बगिया खिली 

4- कल कल की आवाज करती हुयी देख नए झरने को 

मान रहित उचे पर्वत को देख शांत सरोवर को 

एक नन्ही सी जान लिये देख नये रूप तन को 

कौन विस्मय में न पड़ जाये इन देख नये चेहरे को  

5- ये नये चेहरे न होते दुनिया खूबसूरत न होती 

हर धडकने वाले दिल को किसी की जरुरत न होती 

ये सिर्फ चेहरे ही नही एक खुली किताब है 

जी लगाकर देखो तुम इनको पड़ने की जरूरत  न होती 

6- ये चेहरे ही नहीं एक सच्ची आइना है  

एन चेहरों की फ़िक्र हमे ही करना है 

क्योकि इन चेहरों से हमारा गहरा नाता है 

इसलिये ही जाने अनजाने में ये चेहरे सबको सुहाता है


मास्टर मुकेश


 

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