1- क्यू ख़ामोशी को छुपाये बैठे हो मासूम दिल को उदास बनाये बैठे हो
मुझे देखो मै आसू ही सही ख़ुशी या गम का तुम अनुमान लगाये बैठे हो
क्या हू मै मुझे खुद नहीं पता लेकिन लगता है एक सागर समाये बैठा हू
मुझे बस तरसकर देखो सच में एक मनोहर रूप सजाये बैठा हू
2-नदियों का किनारा हू आकाश का टूटता हुआ तारा हू
धड़कता तो नही मेरा दिल लेकिन मै कई धड़कनों का सहारा हू
तृषा तो नही मेरे पास लेकिन मै प्यास बुझाता हू
तन्हा में जीने वालो का ओझल ही सही लेकिन गुजरा हू
3- अभिव्यक्त मुझे जैसे कर दो वैसे मै दिख जाऊगा
फिर भी भूल से यह मत समझना की मै घायल हो जाऊगा
अपनी राह तलासने वाला राही न सही लेकिन बंजारा हू
गली गली में हवाओ की भाति घूमने वाला आवारा हू
4- तुम मुझे मर हुआ ना समझो मै एक जीवंत आत्मा हू
शदियो से ही इस धरती को मैं ही सींचा रहा हू
थोड़ी देर तुम चल कर यू थककर रुक गये
मुझे देखो मै हर जर्रे को अपनी मंजिल बनाया हू
5- मुझको सबसे ज्यादा एक कवि ही जानता है
न जाने किन किन भाव से मुझे पहचानता है
देखो मुझे सच में मै अपने आप में प्रेम का परिभाषा हू
स्तुति या नमन का उच्चारण हू मै ही सामवेद का गायन हू
मास्टर मुकेश
