ये जवानी



1- ये उम्र नही एक ठहराव है बस पानी जैसा बहाव है 

सम्भल सको तो सम्भल जाओ ये सच में एक खूबसूरत पड़ाव है 

ये जवानी है काम करने का ना कि आराम करने का 

एक नया जोश नयी उमंग ये उम्र है नाम करने का 

2-व्यर्थ में अकड़ना व्यर्थ में उलझना 

ये सब छलावा के साथ एक भटकाव है 

ये आती है लेकिन वक्त के साथ जाती जरुर 

इसलिए सावधान हो जाओ इतना मत हो जाओ मगरूर 

3- ये होती तो कुछ दिनों के लिए जब तक जंगे जोर है है 

फिर भी मैंने लोगो को देखा इसी में सराबोर है 

इसलिए मै कहता हूँ इसको न बेकार कर तू 

अपने लिए न सही गैरो के लिए काम कर तू 

4- भौरों सा हाल बनाये हो हर घडी ताक लगाये हो 

रंग बिरंगे फूलो को देखकर सब उसपे मदराए हो 

ये भोगो को नहीं भोग इनको भोग रहे है 

अपना बेवडो जैसे हाल बनाये हो 

5- ये चीज है ऐसी जो शबा की शाम ढूढती है 

कच्चे अंगूरों जैसी हर वक्त जाम ढूढती है 

कही न कही ढूढती रहती  है ये फूलो की लाली 

उस वक्त की हवा चलेगी तो ना फूल रहेगी ना डाली 

6- गुलशन में बहार भी होते है 

लेकिन वो गुलशन में अटके नहीं होते है

 बहकाना भी जरुरी है तडपना भी जरुरी है 

किसी गर्दिस में क्यू न पड़ी हो मंजिल उसे पकड़ना भी जरुरी है 

7- मरना तो है सबको इसको जेहन से निकाल दो  

इस कीमती वक्त को कही तुम व्यर्थ में न गवा दो 

आखिर ये जवानी क्या बला है क्यू मिलती है सबको 

भटक गये अपनी मंजिल से तो सुकून नहीं मिलेगा मनको 

8- कितनी अजीज थी उनकी जवानी 

कितनो का सुनहरे अक्षरों में  लिखी अब भी कहानी 

कोई गोली से खुद को छलनी किया कोई फांसी पर झूल गया 

किसी ने भी  ऐसा करते समय जरा भी उफ़  न किया 


मास्टर मुकेश 

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