एक मंजिल की तलाश



1- ऐसे ना आराम चाहिए मुझे भी एक काम चाहिए 

काटे ही सही मुझे ना फूल ना बाहार चाहिए 

ख़ाली फ़ोकट में न बैठा रहू एक ऐसी आसार चाहिए 

जी लू  जिंदगी ख़ुशी से एक ऐसी मिशाल चाहिए 

2- चार दिन की जिंदगी ही सही  फिर भी एक पहचान चाहिए 

हार कर बैठने वाला नही हु मै क्योकि मुझे ऊची उड़न चाहिए 

तुम मुझ पर दया न दिखाओ मुझे एहसान चाहिए  

चाहे कितना ही संघर्ष क्यू न करू मुझे एक मुकाम चाहिए 

3- तन्हा नही  मै बस तन्हाई का चादर ओढे बैठा हू 

ऐसा नहीं की मै किसी से आस लगाये बैठा हू 

तुम मुझे देखकर उदास मत हो जाना कभी

क्योकि मै बस अपने हसी चहरे को छुपाये बैठा हू 

4- इस झंझट भरी दुनिया से बस अपने को दफनाये बैठा हू 

जिस डगर पर ये लोग चल रहे है बस उससे दुरी बनाये बैठा हू 

ऐसा नही की मै डरता हू सबसे 

क्योकि मै कुछ बेहतर करने का साहस जुटाये बैठा हू 

5- मैंने किसी को डरते देखा है या फिर सवारते देखा है 

कूद गया जो नदी में उसे मैंने उबरते देखा है 

हर घडी के लिए तैयार अपने को किये बैठा हू 

मै जो भी हू फिर भी एक धार बनाये बैठा हू 

6- ये तो वक्त की बात है मंजिल मिले या ना मिले 

खुशियो के दामन से फूल खिले या ना खिले  

आसमा से तारा तोड़ने का इरादा बनाये रखा हू 

आखिरी दम तक प्रयास करुगा तमन्ना लिये बैठा हू 


मास्टर मुकेश 

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