सुंदर नारी



चंचल चपला चुनरी में बा नूर नजर नुरानी नगमा 

नगमा में बा कारी बदरिया सर केचुकी लटकाय खड़ी है 

अंग फूटे महुआ के जस अधरों से बा टपकत रस 

मथवा पे टमटम टिकुली जस चमकत चन्द्र खड़ी है 

नयना कजरा हिरनी नजरा उसमे था एक समुन्दर 

भऊआ ऐसा धनुया के जैसा देखत तीर कमान चली है 

नाक के नथुनिया कानन नगजड़ा पहीरनिया 

ले उपटी साधु वाणीया गरवा में मोतियन माला पड़ी है 

स्याम तन भरा यौवन और दातो को टीस रहा मन 

मदमस्त करने वाली जवानी मदहोश सी अगड़ाई है 

नाभि  में नथुनिया कमरबंद करधनिया झूलावेली धनिया 

चलके जईसे सोम रस पाव के पैजनिया छनकाय खड़ी है 

चन्द्र सी चमक हर एक अगन टकटक नयना सरमाय चले 

थम थम के पाँव चले नागी मादकता देखा रहे है 

बिन बारिश के भीगा बदन सरपट केचुकी झटकाय चले 

कायली हुआ मै बावली मो खड़े रहू संग प्राण चले है 

ज्ञानी का ज्ञान छूटा कामी का काम ऐसे मुसकाय चले 

सुध बुध खोकर कवी भी बेबूझ खयालो में पड़ा है 

मन प्रीत बने सब सोच रहे अब साथ रहे मोरे रानी 

सबकी अपनी बात करो ना पीछे उसके खुदा भी पड़ा है 

सुंदर है वह नारी नुरानी तब से आगे पड़ी 

देखा उसे एक बार बस तब से कागज में पड़ी है 


मास्टर मुकेश 


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