1- शब्दों को चुगकर देखो ये मणियो की हार है
वाद्य मृदंग मंजीरा की ये मधुर झंकार है
2- एक आभा की आकर है कल कल की आवाज है
गजरे की गुच्छे जैसी मधुर मंद मयंक की मुस्कान है
3- तन में मन में और गगन में ये सारे रूप अगन में
ये पतझड़ की पवन में ये ह्रदय की गहन में
4 भावो की भंगिमा में और मधुर सुवाष सुमन में
अभिभूत नवतरंग निर्मल निकली हुयी किरन में
5- ये सीता के राम तो कही गोपियो के श्याम है
कही कंधे पर तीर कमान है तो कही अधरों पर बंशी की पुकार है
6- शब्दों की लडी बनाकर देखो ये कुछ कहने को बेकरार है
सधा तो प्रेम का आधार है वरना एक क़टार है
7- शब्दों को हटाकर देखो तो सारा कायनात एक वीरान है
उदास मन की भाति आकाल पड़े हुयेजंगल की पहचान है
8- शब्द ना आपस में टकराये जरा फेर हुयी की दुनिया उलझन में पड़ जाये
इसके बिना सब निर्झन सा हो जाये स्वप्न भाव को ये ही समझाये
9-ये शब्द ही प्रेम का आधार है प्रेमिओ का सिंगार है
इसके बिना तो सब कुछ रुका हुआ सारी आधार है
10- प्रेयसी और प्रियतम की एक ओछी तरतार है
ह्रदय भाव को झकझोरने वाला एक पशुपतास्त्र है
11- इस जगत का पहचान है ये सच्चाई बया है
सुंदर प्रकृति चित्रण साज के रंगों की बौछार है
12- एक कवि का भगवान है उसकी आत्मपहचान है
अंतर मन को पहचानने वाला एक सच्चा आत्माराम है
मास्टर मुकेश
