ऐसा पहली बार हुआ



ऐसा पहली बार हुआ है सोलह-सतरह  सालो में 

कोई तो है जो आने लगा अब खालो में 

जन्नत की कोई हूर है या वादियों की शहजादी 

यह जानने के लिए कब से तडप रहा दिल बेदर्दी

मेरी सासे मुझसे पूछती है उसकी खबर 

उसको न जाने क्यू नही है मेरी फिकर 

फिर भी मेरा दिल कहता है वो मेरी है बेखबर 

कोरे कागज की भाति मै खोया हूँ खयालो 

तड़प रहा है मेरा दिल जैसे उलझा हो जंजालो में 

हा ऐसा पहली बार हुआ है सोलह- सतरह सालो में 

इस कायनात में उसके होने का एहसास सा आता है 

धुओ और कोहरो में एक आभा सा बन जाता है 

ओझल आखो के आगे सिहरन सी हो जाती है 

कस्मकस भरी आहो सी शर्माये  सी हो जाती है 

अनायास ही मेरे दिल में न जाने क्या होने लगा 

हर पल हर क्षण न जाने कहा मै खोने लगा 

शब्दों की लडी से बनकर निकली अंजान किनारों में 

उसको अब तो ढूढने लगा मै बसुधा और तारो में 

सचमुच ऐसा पहली बार हुआ है सोलह- सतरह सालो में 

                                           

मास्टर मुकेश 


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