1- अन्धे सब लोग हुये बहरे सब कान
अपने में सब व्यस्त है सबको इतना है काम
ये होड़ की दौड़ है या फिर नुमाईस की दौड़ है
ये अच्छे लोग बूरा यहा कौन है
बुद्दिमान यहाँ सब है
फिर भी सत्य पर मौन है
2-युग हो किसी का चाहे वह हडप्पा का हो
या फिर मौर्य या स्कंदगुप्त का
रहते नहीं वनमानुष हर युग में
लगा रहा है जमघट हर समय मनुष्य का
उनको भी दो आख थे दो हाथ पाँव
ऐहसास हुआ होगा उनको भी भूख का
3- हा रंजिस थी तब और अब भी है
लेकिन कल कम की थी अब नाम की है
वर्चस्य की लड़ाई शायद अब खत्म हुयी
बस नीचा दिखने की बारी आयी
इस लोकतंत्र में सब मनाते जश्न आजादी का
फर्क बस थोडा हुआ पहले हम इंसानों के
गुलाम थे अब मशीनों का
4- तस्वीरे इतनी जल्दी बदली की
सब देखते रह गये हाय करते रह गये
बदलाव अच्छी बात है ये संसार का नियम है
चीज़े तो नहीं बदली लगता है खुद बदल गये
ये युग हमारे लिये बदले तो सही है
लेकिन इस युग के लिए हम बदल गये
5- एक आये और जाये
ये एक सच्ची कहानी है
जब सब काम एक लय में हो
तब खतरा न आनी है
जाने अनजाने में फर्क सबको पड़ती है
इसलिए प्रक्रति भी हमसे हमेशा लड़ती है
6- एक जमाना था जब युद्ध के मैदान में भी
लोग रात में सब साथ चैन की सास सोते थे
जरुरत पड़ने पर दुसरे के घाव पर
मरहम भी लगाते सराहना करते थे
अब भी तो वही रात वही दिन है
फिर भी लोग हर वक्त बेबश और बेचैन रहे है
7- इतना साधन होने के बाद भी हर आदमी अकेला है
लड रहा अंतरद्वन्द की लड़ाई क्योकि वह तन्हा है
देखो सभी के चेहरे पर एक उदासी छाये है
उदास तो होना है क्योकि ये मशीनों से नेह लगाये है
मनुष्य बना ही है प्रेम परिवार समाज के लिए
क्योकि वह भावना और ऐहसास वाला प्राणी है
8- तरक्की तो हमने बहुत की
चाँद ही नही अन्तरिक्ष की चक्कर की
जिससे छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए
उससे भी जी लगा कर छेड़छाड़ की
परिणाम अब दिख रहा
क्योकि तरक्की के साथ अपने पतन की दावत दी
9- करोडो नयी चीज को हमने इजात किया
उपग्रह से लेकर हमने नया सुर्य बना दिया
समुद्र के साथ हमने आकाश में घर बना लिया
इसके साथ हमने अपने जीवन का उम्र घटा लिया
टूट रहे है हम तिल तिल क्योकि B P दमा
कैसर जैसे तमाम बीमारियों को तन में बसा लिया
10- विज्ञान आज की नहीं शादियों पुरानी सम्पत्ति है
अनुसन्धान करना अच्छी बात है इसमे किसको आपत्ति है
नई चीजे इजात होने पर खुश तो ऐसे होते है
जैसे हमने बहुत बड़ी महारथ हासिल की है
सूख रही डाली पत्ति सूख रही धरती है
कही भूल से भूल न जाये हम भी तो मनुष्य है
11- हाय हलो बाय करना एक फैशन बन गया है
सभ्यता और संस्कृति की जो नीव पड़ा था
लगता है वह एक बार फिर से मुरझा गया है
ये नयना जिन्हें देखने के लिए तरसते
उन्ही के कारण उनके नैन खुद बरसते
आहात होकर गिर पड़ते जब खुद के बच्चे उन पर गरजते
12- हर जगह एक सा हाल है कही न कही सब बेहाल है
मशीनों जैसे सोचते है ये मशीनों का ही कमाल है
मानवता और प्रेम की बात शायद अब के लिए नही है
कही न कही इसके बिना सृष्टी का आधार संभव नही है
घड़ियाल के जैसे हर वक्त ये रोते रहते है
मेरा फला मेरा ढेकाना पल पल कहते रहते है
13- चारो तरफ एक भूख और हवस जरुर है
दिखावे के चक्कर में सब कितने मगरूर है
जिन नारियो को हम लाज शरम की बान कहते थे
वो भी पाऊच पीके अब रोड पर दीखते जरुर है
मर्यादा की लकीर को पार करने के लिये सब आक्रांत है
क्योकि सब अपने को स्वतंत्र नहीं स्वछंद मानते है
14- कल से हम बेहतर है ऐसा सब कहते है
क्योकि हर रोज राजे महाराजे युध्द ही करते
मुझको यह बात हजम न हो पाती
कही न कही प्रकृति हर रोज कहर अब ढहाती
डूब गये कितने सुंदर द्वीप अभी
ऐसा रहा तो डूब जायेगे कई देश कभी
15- प्रकृति से अभी भी हार मान लो
नही तो उत्तराखण्ड जम्मू जैसा विनाश लो
बड़ी बड़ी चीजे हम केवल खोज सकते है
पर बिखरी हुयी तिनके को हम जोड़ नही सकते
2 जी चल रहा 4 जी चाहिये
अंत नही होगा इच्छाओ का अब भी मन जाइये
16- आज ही नये नये कारनामे होते है
बिन सावन हर मासे बरसते होते है
अब डर तोप हाइड्रोजन बम से भी नहीं है
जितना डर भूकम्प आधी तूफानों से होते है
इतने तकनिकी के बाद भी लोग मर रहे है
इसका जिम्मेदार हम या विज्ञानं है
17- विज्ञानं ये नहीं कहता तुम मुझसे विनाश लो
हर वक्त कही न कही तुम मुझसे विकास लो
आकांक्षाये खुद अपने आप को मारती है
कही न कही हर वस्तु को जारती है
अभी भी जब ये हाल है तो आगे क्या होगा
चाँद तारे धरा तो होगी पर मनुष्य न होगा
मास्टर मुकेश
