कम है क्या


 1- बेसुध होकर इतना जिया कम है क्या 

घुट घुट कर आसू पिया कम है क्या 

अभी भी और जीने की चाहत है 

जितना ठोकर खाया वह कम है क्या 

2- खुद को साबित करने के लिये 

लोग कैसे अकड़ते तू नहीं देखा क्या 

ज्यादा बोलने वाले तेज चलने वाले 

अपने ही मुह के बल नहीं गिरते क्या 

3- मनुष्य रोटी को नहीं रोटी मनुष्य को खाती है 

इतने दिन से सच में तू नहीं देखा क्या 

ये झूठ नही बिल्कुल सत्य बात है 

अपने मद में तू इसको भी नहीं मानेगा क्या 

4- ये चाँद तारे धरा और सुर्य हमारा 

सब धर्म का पालन नहीं करते क्या 

धर्म का परिभाषा सिर्फ धारण करना होता तो 

मेहदी लगाते समय औरो के हाथो में लगता क्या 

5- सीख सको तो सीख लो बेबूझ प्राणियों से 

पत्थर फेकने पर तरुवर कभी भी बैर लेते क्या 

लोग कहते है समय हमसे खफा है 

तुम्ही बताओ उसके जीवन में सुख नहीं आता क्या 

6- कम कुछ भी नहीं है किसी के पास 

ईर्ष्या द्वेष रखने से कुछ मिल जायेगा क्या 

हाँ आदत पड़ी है हाय हाय करने की 

जो करते है उनको सब कुछ मिल जाता है क्या 

7- हाँ उलझे है हम इस कदर जंजाल में 

इसे एकाएक छोड़ना आसान  न होगा 

पर औरो के ख़ुशी के लिये न मिटना 

तुझसे नयी जमीं नया आसमाँ पैदा नहीं होगा क्या 

8- तू अपने आप को कम आकता है 

तेरी ही पूजा हम जैसे करते है 

अभी भी तुझे यह बात नहीं समझ आया 

अरे तू जो भी है वह अपने आप में कम है क्या 

9- सोहरत के बाद किसी को पैसा चाहिये 

सब कुछ होने के बाद किसी को सुख चाहिये 

अब तो सुख के लिए पैसे दिए जाते है 

मुझे भी कोई बताये यह बाजार में मिलता है क्या 

10- खुद गर्ज हर जगह सब ऐसे हुए है 

सबके बारे में बस अपने जैसे सोचते है 

अरे अक्ल के दुश्मनों जरा ठहर जाओ 

दो वक्तियो को एक जैसा आज तक देखा है क्या 

11- अब अपने को भक्त कहलाने की बड़ी जोर है 

खुद अपने बारे में उनको नहीं पता है क्या 

बस अपने को दिलाशा दिलाने के लिए 

कुछ ढोग रचने से सही हो जायेगा क्या 

12- ग्रन्थ और पुस्तक पड़ने से अगर कोई पंडित हो 

तो सारी दुनिया की किताब हर कोई पढ़ नही सकता क्या 

सच्चा बनना आसन है पर कपडे पहनने जैसा नहीं 

नक़ल करना आसन है पर  इससे खुद को सुकून मिलेगा क्या 

13- पढने वाले को विद्या का मान हो ही जाता है 

कुछ न पढ़ने वाले किसी से कम होते क्या 

पढ़ना न पढ़ना या बहुत कुछ पा जाना 

हर किसी को मेरे गली आना नहीं पढ़ेगा क्या 

14- तू नित् प्रतिनित् अपने को सवार ले 

फिर भी सच्चे व्यक्ति की तलास नहीं रहता क्या 

घंटे चार घंटे अपने रूप को आईनों में निहार ले 

फिर भी गुदड़ी वालो के जैसा रूप है क्या 

15- अब कुछ नया नहीं हो रहा हर जगह 

बस एक भ्त्काव्हाई एक अँधेरा सा है हर जगह 

प्रकाश होने के बाद क्या स्पष्ट नहीं दिखाई देता हर जगह 

कोई लाख जतन करले क्या कोई मरता नहीं हर जगह 

16- सत्य बातो को लोग नहीं समझते है 

जीवन की गिनती उल्टी नहीं चलती है क्या 

एक एक दिन तू बढ़ नहीं रहा है 

तेरी ही जिंदगी तुझसे दूर नहीं जा रही है क्या 

17- अकेले आशा रहित रहना सीख ले 

बस खुशिओ का पड़ाव मिल जायेगा 

कुछ भी हासिल कर सकता तू तुझमे सामर्थ्य है 

पाने की गर चाहत है तो कुछ भी पा नहीं सकता क्या 

18-जीवन जीना सीख ले निधि मिल जायेगा 

पर्दे में पीडीए हर राज उजागर हो जायेगा 

मूषिक है असंम्भव नहीं सब कुछ मिल जायेगा 

तू खुद के लिये थोडा प्रयास नहीं कर सकता क्या 

19- हसना है तो खूबसूरत रोना सीख ले 

जीना है तो हर क्षण मरना सिख ले 

तब देखना सफल तू जरुर हो जायेगा 

ज्यादा तू कुछ मत समझ इतना कम है क्या 

20- ख़ुशी चाहिये तो त्याग सीख ले 

प्रेम चाहिये तो देना सीख ले 

जीवन में केवल पाना ही नहीं होता 

हारने वाला कम जीतता है क्या 

21-कितना समझाऊ कितना बताऊ मै 

अब तक जो बताया समझाया कम है क्या 

कोई भी कहता है वही पुरानी बात 

तू क्या समझता इसमें बात है कुछ नया क्या 


मास्टर मुकेश 





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