1-इस उफनाती सागर को एक दिन मै पार कर जाऊगा
धीरे धीरे ही सही अपने मुकाम तक पहुच जाऊगा
क्योकि मुझे स्पष्ट आ रहा नजर वो पड़ाव वो डगर
एक दिन मै भी इस दुनिया को सच्चाई बता जाऊगा
2- खुद मेरे अपनों का अब साथ मिल रहा है
क्योकि उनका और मेरा विचार मिल रहा है
हर गहरे में सोये हुए राज उजागर हो रहे है
सच पूछो तो अब हर घडी मजा आ रहा है
3- कभी सोचता हू बीते हुए लम्हों के बारे में
चुपके चुपके आसू बहा लेता हू किसी आड़े में
क्योकि अब समझ आता मुझे कुछ तो खोया है
दुःख देते वो बीते पल जैसे मै पड़ा रहा बीरानों में
4- उस दशा का वर्णन मै क्या करू और किन शब्दों में करू
मुझे तो अब कुछ याद नहीं वो बीते पल कहा से शुरू करू
हसना लिख दू या रोना लिखा दू या और कुछ और कहानी लिख दू
सिर्फ वक्त की बर्बादी थी अब भी वही होगा उस पल को चाहे जितना कोस दू
5- चक्कर में पड़ा हू हँसी तो मुझे इस बात पर आती है
अभी भी गुजारी हुयी घडिय कभी कभी याद आती है
फिर भी पूरा प्रयास और कोशिश है याद कुछ भी न आने की
क्योकि पानी में पड़ी दूब व हवाए भी मार्ग का रोरा बन जाती है
6- मुझे तेरा सहारा क्या मिला मै तो एकदम निहाल हो गया
मै देख रहा हू अब गजब का कमाल हो गया
तेरा साथ पहले से ही था अब जाके पता चला
इतना दिन तुझसे दूर कैसे रहा अब मुझे इसका मलाल हो गया
7- लेकिन लगता है शायद किसी और की यही रजा थी
मेरे जीवन में बीती घटना बस एक अधूरी कहानी थी
पूरा कुछ हुआ या ना हुआ मुझे यह नहीं मालूम
पर तेरा कोई दोष नहीं यह सब मेरी ही मनमानी थी
8- चैन भी है अब सुकून भी है हर प्रश्नों के उत्तर भी है
एक आनन्द और उत्साह है शायद यही जीवन भी है
ऐहसान तेरे है मुझ पर एक उम्रभर से भी ज्यादा
बदले में कुछ भी नहीं है देने के लिये तुझे इन शब्दों से ज्यादा
मास्टर मुकेश
