1- बिन विचार के व्यक्ति रहते यह मरे लिये सबब बन गयी
है कितना आनन्द उसमे उसके लिये दिल में ललक बन गयी
इस बाजार को देखा लिया उस बाजार को अब देखना है
मेरे जिंदगी की हर मक्सद मेरे लिये बस यही पहल बन गयी
2- देखा भी है मैंने पाया भी है मैंने और समझने का प्रयास किया मैंने
मजा देखने व सुनने में नहीं इसलिये चल निकलने की ठानी है मैंने
है इस जहा में बहुत कुछ इन पेड़ पौधों को देखो ये भी बिन विचारे होते
सुख हो या विषाद हो इनको हमेशा हर घडी एक रस देखा मैंने
3-जरा तुम विचार करो कोई कैसे इतने सजगता से होश सम्भल सकता है
अपने को एक किनारे करके कैसे किस भाव जगत में जीवन जी सकता है
होते अचरज भरे विचार कैसे जहा विचार कुछ भी न होते
पांच पच्चीसों को समेटे हुए एक अलौकिक आनन्द का आह्लाद करा देते
4-कभी देख लेती यह निगाह उस निगाह को तो सारी दुनिया थम जाती
नदियों सी सागर में समां जाने की एक प्रेम प्यास ह्रदय में उतर जाती
शदियों से बिछड़े प्रेमी के मिल जाने पर सारी मुश्किल भूला दी जाती
वैसे ही उनकी छाया भी पड़ जाए तो उजड़ी हुयी चमन में बगैर घटा बहार आती
5- जाम तो सबने पिया पर इस ज़माने में शराबी कोई नहीं होता
तुम डरना नहीं सही मंजिल का पता तुफानो ज्यादा कोई नहीं जनता
ढूढ़ना आसान न होगा उनको किसी मयखाने में या इस ज़माने में
जाम छलकता है उनके आखो से पीना होगा तो आना छुपकर उनके मयखाने में
6- विश्वास की एक पहल है मेरे लिए हर अल्फाज एक अनोखी गजल है
गौर से देखना होश में तुम चंद लाइन ये मेरे विचारो के ऊपर के महल है
समेटा तो नहीं जा सकता ऐसे किसी पारलौकिक आनन्द स्वरूप विचारो को
हो जाते है कुछ ऐसे ही मुझसे छोटे बड़े काम यू समझना ये मेरे जीवन की पहल है
मास्टर मुकेश
