प्रेम की पराकाष्ठा


 1-प्रेम मूरत है प्रेम सुरत है प्रेम के बिना कुछ नहीं ऐ नादाँन दिल मूरख है 

प्रेम ही पूजा प्रेम ही अर्पण प्रेम बिना ऐ दिल कुछ नहीं दूजा है 

प्रेम भक्ति प्रेम शक्ति प्रेम ही बंदगी प्रेम ही बन्दा नहीं प्रेम बिन है जिंदगी 

प्रेम जगत का सार है यह ह्रदय का श्रृंगार है प्रेम प्रेम में आत्मसार है 

2-इस प्रेम का रस जी पा जाता सहज भाव से वह ब्रम्ह ज्ञान को भूल जाता 

इसको पाया जाता प्रेम के बदले इसलिये आत्मिक सम्पदा कम आता 

सहज है प्रेम सरल है प्रेम शिशुवत ये ह्रदय को भेदने वाला प्रेम 

प्रेम है अमुल्य निधि धन मान वैभव प्रेमियों के कम न आता 

3- इसी प्रेम के डोर में खिचे चले आ रहे ये सूरज चाँद सितारे 

एक प्रेम बिना इस दुनिया के होते न इतने खूबसूरत नज़ारे 

यह प्रेम न पाया जाता न किया जाता बस ऐसे ही हो जाता 

इसी प्रेम के बल पर बहुतो ने सर्द भरी रात सहज ही गुजारे 

4- यह प्रेम शब्दों के पार का विषय इसलिये शब्दों में समझ न आते 

चिलमन में होती कई तरह के आवाज प्रेमियों को सब प्रेम ही सुनाई देते 

कोयल गीत गये या भजन दादुर टर्र टर्र करे या राम यह प्रेमी से मत पूछना 

प्रेमी होता कोई नहीं जो होता उसको सारी दुनिया प्रेम मय दिखाई देता -

5- इस प्रेम की कीमत अष्ट सिध्दी नौ निधि से ज्यादा है 

जो केवल गाल बजता वह प्रेम में बिल्कुल एक टूक नहीं आधा है 

प्रेम न वाणी उपजे प्रेम न हट बिचाय ढूढ़ ले जमाना प्रेम न बात दिखाय 

प्रेम ही रब प्रेम ही सच्ची कमाई है प्रेम ही प्रेमियो की हरजाई है 

6- प्रेम में सब कुछ जायज न नाम न हीं कोई बुध्दि व्यवहार 

इसको सीखने के लिये न ब्रह्मा की जरुरत न हीं कोई आचार 

प्रेम में अर्पण जब मन हुआ तो कौन पूछे तिथिवार 

बिन गुरु ज्ञान प्रेम न होये बन्दे जाने पड़े गुरुद्वार - 

7- प्रेम का धाता सतगुरु है चहिये तो सस्ते शीश देय लेई जाओ 

राजा प्रजा जो अकड़ दिखाये तो फिर मरघट पर जाओ 

दीवाना ही जाता प्रेम के पास अन्यथा न पहुचता प्रेम देश 

है उसकी रजा क्या बता दे क्या दिखा दे तुझे अपना नूरानी और भेष 

8- उस भगवन को न खोज वरन प्रेम में सहजता से डूबो 

राम हो या रहमान हो या हो किसी बिरले की दस्तान सबको प्रेम से खोजो 

देख जरा होश में तू उस प्रेम मय गुरु के लिये साडी क्लेश एक राई है 

धन्य है पर ब्रम्ह है वो लोग जो साक्षात् आनन्द स्वरूप प्रेम की सौगात पाई है 

9- प्रेम में होती हर क्षण पूजा प्रेमियो को सर झुकाने की फुर्सत नहीं 

आशिकी हो या बंदगी बगैर सर देके सौदा होता नहीं 

ये प्रेम की बात है बंदगी की नहीं जो सर झुकाये हो जाये 

प्रेम वाले होते इस कदर समर्पण उनको खुद की सुधि कुछ होती नहीं 

10- जो प्रेम में है डूबे उन्हें सागर की गहराई का परवाह नहीं 

जो नशा चढ़ जाये उठाए जाये वि नशा होता नहीं 

जिनकी नजरो में प्रेम है समाया वो होते है जग से एकदम निराले 

थोडा तुम्हे जो पिला दे तो भी उनकी दीवानगी कम होती नहीं 

11-ये प्रेम है ढाई अक्षर का प्रेम इसी में सारी दुनिया समाई है 

है ये सिर्फ दीवानों के लिये इसमें होती बहुत जग हसाई है 

इस प्रेम को शारीर से समझ पाना कभी  भी आसान न होगा 

यह प्रेम है हमारे तुम्हारे पार का विषय इसलिये समझने कठिनाई है 

12- प्रेम है सिर्फ प्रेम यह बुध्दि विवेक ज्ञान विज्ञानं आचार विचार से दूर है

यह कोई शब्द नहीं प्रेम में जो खो गया वि इसी में मगरूर है 

प्रेम की थाह लगाना तारे गिनने जैसा है इसको शब्दों का रूप देना 

कागज के फूल जैसा  है 

बस इतना जान लो तुम जिनकी नजरो में प्रेम बसते उन्ही नजरो को सुकून है 


मस्टर मुकेश   


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