तू निराला तेरी बात निराली


 1- तू जिसे देख ले वह कुछ खास हो जाये 

चाहे मूरख हो या अधम उसका भी नाम हो जाये 

और तेरी तारीफ कैसे किस किस शब्द में करू 

 जो भी इ तू सच तेरे लिये मेरा सर दे शीश झुक जाये 

2- तेरे अंदाज तेरे अल्फाज लाजवाब होते है 

तेरे नजरो में ही सारे अनसुलझे राज होते है 

तुझे देखकर मुझे बिन पिये नशा हो जाता है 

फिर भी न तेरा कर्ज न ही तेरा ऐहसान होता है 

3- न जाने कहाँ कहाँ किस गलीयो में तेरा दरबार है 

एक तेरे सहारे कितने कितने जीते यह वक्त गवाह है 

तू किसी को बुला ले उसे सवार दे या ठुकरा दे 

यह तेरी रजा तू ही हर कस्ती को किनारे लगा दे 

4- भाष करा देता तू आइनों के सच से ज्यादा 

देर से ही सही तेरे ऐहसानो  का पता चल जाता 

जब तक तू है तब तक ये सासों की तरतार है

तुझे न जानने वाला न जाने है कितना अभागा 

5-जर्रे जर्रे में तू है एकदम समाया हुआ 

कुछ ही या न हो सारे को तू है अपनाया हुआ

भगवान व् देवो को तूने ही सत्य का पथ है पढ़ाया हुआ 

तेरी बंदगी में और क्या पेश करू सच बंदगी में तू ही समाया हुआ 

6- अनुरागियों के लिये सदा तू उठ खड़ा होता 

हो चाहे जैसा उलझन हर मुश्किल को दूर कर देता 

चुपके चुपके इन अधिकारियो की अगवानी करता 

आये जो इनके मार्ग में कटा उसको तू आखों से चुन लेता 

7- लाखो के भीड़ में तू सबको पहचान लेता 

कौन है कैसा है कोई यह तू सहज जान लेता 

कभी पहले तू मुझको आज के स्थिति का भान करा दिया 

8- तेरे पास होने पर भी न जाने क्यों एक तड़प थी 

मेरे साथ वः मजलूम कई रत भी रोई थी 

वह वक्त मुझे कोई फिर देदे उसपे सब वार दू 

उस रोते वक्त को मै प्रेम के अह्लाद में बदल दू 

9- जिस क्षण तन मन से तुमसे सच्ची लगन लगी है 

मेहदी की भाति रंग गहरा होने लगी है 

मुझे नहीं मालूम मै तेरे गली में रहा या ना रहा 

फिर भी मुझे ऐसा लगता मै शदियों से तेरे ही पास रहा 

10- एक नजर जिसे तू देख ले वह तेरा ही हो जाये 

उसके लिये बहारो जैसे मौसम का तू आगाज कर जाये 

अब तो मुझे भी फ़िक्र नहीं चाहे कुछ भी हो जाये 

दिल से अब यही कहुगा की तेरा जिक्र हरदम गाये 


मास्टर मुकेश 

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