1- एक दिन नईया से पतवार कहे पतवार बिना कैसे नाव चले
अचरज भरे हल में कस्ती ने इशारा किया जैसे रोज सुबह शाम ढले
हिम्मत तो आनी है मान तो होना है उस छोटे कस्ती या बड़े कस्ती को
जिसके खेवनहार दिना नाथ हो उसका कोई भी क्या बिगाड़ करे
2- देख देख सब लोग हसे यह कैसा प्राणी कैसा कौतुहल विचार करे
ना यह संत सेवक न योगी सन्यासी ना ही भक्तो जैसा आचार करे
नारद सारद सुरेश महेश देख सब अचरज में पड़े कोटि मंथन करे
यह कौन है कैसा है इसको सब निधि अविलम्ब सहज ही मिले
3- डोरा डालने वाला समझ न पता तेरी दया से वह अपना ही खता
प्रकृति के गुणधर्म भी हे नाथ कोशो दूर से ही गुजर जाता
नाथ तू क्या मिला मुझे लगता है जैसे चारो तरफ एक रुसवाई है
सब जलते है मुझसे क्योकि मैंने तेरे आखो के साथ हृदय में जगह पाई है
4- हम तुझे भूल जाते है लेकिन तुझको मै हर क्षण याद आता हू
दीवानों के बस्ती में जब भी देखा मैंने हम दोनों ही जिक्रो में गया जाता हू
हे नाथ मैंने जागकर कभी भी किसी की सेवा न ही बंदगी की
तेरी आशिकी तेरी दरियादिली को देखकर सचमुच कभी कभी मै भी घबरा जाता हू
5- चप्पल के साथ चाम घिसने पर लोग सच्चे गुरुओ की कृपा पाते है
आधी उम्र बीत जाने पर भी उनसे एक दो बात ही सीख पाते है
नाथ अब तू ही बचाना मुझे कही होश न खो दू या पागल न हो जाऊ
क्योकि लोग नाम पाकर दम्भ भरते सहज मिला जो तेरा प्यार वह कही भूल न जाऊ
6-धन्य मई ही क्या मेरा हर एक रोम रोम हुआ
सच तो यही है की मैंने तुझे पाने का झूठा प्रयास भी न किया
जिन आखो को देखने के लिये लोग जन्म पर जन्म लेते
हकीकत में क्या बताऊ मै लगता है जैसे उन आखो में खुद को बसा लिया
7-बेबशी मुझे कुछ ऐसी है जो यह भाव ह्रदय से भी कहने में बरतता हू
सोचता हू कोई जान न ले इसलिये हर घडी यह भाव भूलने का जतन करता हू
ये जो भी है मेरे ह्रदय के भाव ही है इसको समझाना आसान न होगा
मै तो कुछ भी नहीं हू नाथ फिर भी तुझे इस समर्पित ह्रदय का मान रखना ही होगा
मास्टरमुकेश
