1- मै जिंदा ही कब था जो मर गया
मुझसे क्या था जो अब थम गया
अरे हजार सुबह आयी हजार शाम गयी
ऐसा नहीं की ये सूरज आज ही ढल गया
2- क्या खता हुयी जो घर का पता भूल गया
आईना देख रहा हू जैसे चेहरा भूल गया
सबकी खूब पहचान है सब याद भी रह गये
कम्बख्त दो घडी में खुद को भूल गया
3- ढल रही ये शाम नहीं ढल ही जहान है
चलते है सब सबकी अपनी मकाम है
कोई होल होल बढ़ता कोई शनै शनै बिसरता
कुछ सिथिर नहीं यहा ये दुनिया चलायमान है
4-ये कहा इस जहा के बाद दुनिया नहीं
इस सितारों के पार भी दुनिया कई
हसरते ही ऐसी जो ता उम्र से ज्यादा
तो कैसे सहज नजर आये दुनिया कई
यु जिंदगी जिंदगी करके हमेशा रोया न कर
अपने विष भरे आसू हर जगह बोया न कर
यहा फूलो से ज्यादा काटे ही मिलते है
इसलिये हमेशा घडी घडी फरियाद किया न कर
6- यहा जीना है कुछ इस कदर से जिया न कर
मजलिश में होकर मजलूम जैसा सितम किया न कर
ये आखे है जो सच्चाई बया करती है
इन पलको का पहरा करके आखो पर सितम किया न कर
7- चला तो था एक सफर पर अपने मकाम के लिये
बेचैन था ऐसे जैसे सुबह शाम के लिये
मुझे क्या पता रास्ते में कई बगिया होगी
दामन पकड़ ही लिया फूलो का जैसे कई रात के लिये
8- इधर जरा रुसवाई है ऊधर गहरा तन्हाई
कही कही राख है कही कही हवा गरमाई है
ऐ दिल नादान इसे तुम मुकाम ना समझना
कई काफिले गुजर चुके यही एक सच्चाई है
9-किस मुकाम के चक्कर में खुद को भूलते गये
एक एक करके मोती यू बिखरते गये
रह गये टूट कर एकदम अकेले एक दिन
पानी में मुर्दे को देखकर होश ठिकाने लग गये
10- ऐ दिल इस धूल को धूल न समझने की भूल कर
ये भी करावा की एक कतार थी
हसरते न इनकी पूरी हुयी न किसी की होगी
किस्से सुनकर लगता है इनकी भी क्या मिसाल थी
11-ऐ मन जीवन सच में एक अनोखी पहेली है
इत उत कहा कोई रहता हमेशा दुकेली है
चल आज हम भी सच्चा धार्मिक बन जाये
आ थोड़ी ठहर एक प्रीत का गीत हम भी गाये
मास्टर मुकेश
