1-प्रीत कहू प्रीत कहू प्रीत कहू मै प्रीत
राम नामध्याओ गहो हरी नाम गीत
2- छुपे ना छुपाय कुसुम गन्ध बिखराय
भरे ही उचिलत है सच ही बात कहाय
3- देख न पावे बोल न पावे और सुनन जो कतराय
एक दिन आसन परिके खुबे जोर कहारय
4- मुर्दा में भायो जियत हो अपने बड़ा इतरावत हो
साच बड़ा कहावत हो अपने से करत बगावत हो
5- घाट घाट लखत हो फिर कछु न बुझत हो
काया काया ठग रही का जाने का जोहत हो
6-ई तन का जाने का पईहं हरज गरज बिसरईहं
नयन नीर बहईहं तब फुर्सत न रह जईहं
7-का पाये का रह जईहं खुद का शकल भूल
का आये की गये हरिनाम बिनु कछु हाथ न अईहं
8-जग में बड़ा झमेला यात्रा कठिन अकेला
मान सरोवर तू वासी बुझ न पाये सहज बाती
9-का छाया का बदरी अब लीना खुद की खबरी
दरिया किनारे से न जा रे भोग गाहन में आव रे
10- खुद की खबर न लीना न लीना मरघट मरघट फेरा किना
सत् गुरु कृपा न पीना ताके रुके कभी ना
11- कहू भायो मो समझ बिचार मन ना चले आचार
सब बिसर तज जईहंगोपाल दास अपनईहं
12- देह धरे हरी का करत नित्य भजन पुकार
एक आस एक विस्वास ऊ नर होईहं सहज भव पार
मास्टर मुकेश
