एक सच्चा कवि



 1-रब के बनाई इस दुनिया में  कोई एक बेख़ौफ़ सोता

 खुद से बाते करता अपने ही हर जगह ही होता

ना खुद की परवाह करता ना किसी से रुसवा रखता 

आकाश को घड़े में सहज भर दे ऐसा एक सच्चा कवि ही होता 

2- जीवन को खूबसूरत  रंगों से भर देता 

किसी और का कोई ऐहसान न लेता 

है क्या उसकी रजा है क्या उसकी मजा 

अपने भावो से मानवता का त्रास हर लेता 

3- जिवन के मर्मो का उसे भी भान होता है 

मनोरंजन ही नहीं उसके द्वारा मानवता का उत्थान होता है 

शादियां सजोये खुद को आईना दिखाये 

एक कवि दरियाँ में माँझी के लिये पतवार होता है 

4- कभी हसता कभी रोता कभी बहारो पर जां निसार करता 

फूल ही नहीं वह काटो से बेहद प्यार करता 

मुफलत में नही मिलती ऐसी जीवन उसका भी भान होता 

सोने वाले जाग जाये ऐसा वह प्रचंड हुंकार  भरता 

5-कवि कवि ही होता अंततः विचारो में खोता 

ना उसके लिये शराहदे ना ही वह किसी का गुलाम होता 

खुद के दुनिया का मालिक होता ना ही कभी बेहोश होता 

उसके फूल उसके चमन उसके ही नजरो से बहार होता 


मास्टर मुकेश




एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने