हमारी सातदिवसीय N.N.S.कैम्प





                    आज दिनांक 31.01.2014 को विद्यालय जैसे ही पहुचा, वैसे भी हमारा महाविद्यालय में आने का मन भी नहीं था लेकिन कही न एक उत्सुकता थी जो हमें यहाँ तक खिचं लायी |महाविद्यालय में जैसे ही प्रवेश लिया मुझे बड़ा अटपटा लगा थोड़ी बेचैनी भी थी तभी हमने रोहित रवि को देखा जिनको मै जानता था लेकिन विनोद को नाममात्र का जानता था

                    महाविद्यालय परिवार के सदस्य मनोज जी जो डॉ0 सुशील दूबे के कथनानुसार कार्य कर रहे थे वो विद्यालय के एक कमरे में छात्रों को कुछ बता रहे थे शायद कितने लोगो को कही जाना है क्या करना है क्या नही हम लोग उस कमरे में नहीं थे हम और कुछ साथी भी उनकी राह देख रहे थे की कब मनोज जी आवै हम लोगो को भी कुछ बताये की हमे जाना है या नहीं |

     चुकि हम आप को बता दे डॉ0 सुशील दूबे हमारे महाविद्यालय डॉ0 राम मनोहर पी0 जी0 कालेज के प्रोफ़ेसर है जो महाविद्यालय में पढ़ाने का कार्य करते है जिनको N.S.S. कार्यक्रम की अगुआई करने की अनुमति महाविद्यालय के प्रचार्य प्रबंधक आदि लोगो द्वारा मिली है साथ आप यह भी जान ले की मनोज जी की आपको बार- बार मिलने वाले है रास्ते में नहीं इस लेख में तो बस आप इतना जान ले की मनोज जी इस महाविद्यालय परिवार के कर्मचारी है |

                            हमारे साथी और अन्य भी यह जानना चाहते थे की अन्दर कमरे में क्या हो रहा है |तभी हमने सुना कि मनोज जी आ रहे सभी बच्चे उनकी ही राहे ही देख रहे थे ,हम आपको बता दे शायद इसलिए की NSS(राष्ट्रीय सेवा योजना )में हमारे महाविद्यालय(डॉ0 राम मनोहर पी0 जी0 कालेज भैरवतालाब राजातालाब वाराणसी )के 100 लड़के का चयन हुआ था जिसमे से 50 बच्चे व् 50 बच्चिया थी चूकी यह दो साल का है और नियमतः इसमें एक दिवसीय और सात दिवसीय कैम्प लगते है | 

       एक दिवसीय में 100 लोगो को आना अनिवार्य है लेकिन सात दिवसीय में केवल 50 लोगो को ही भाग लेना होता है चूकी हम लोगो का एक दिवसीय कैम्प हो चुका था था विशेष कैम्प या सात दिवसीय कैम्प बाकी था इसलिये सभी के था हम भी सोच रहे थे 50 लोगो में नाम आया है या नहीं अगर नाम न हो तो घर चले लेकिन  हम सच कहे तो बड़ा अजीब लग रहा था जाने का मन नहीं था क्योकि रोहित था पर पंकज नहीं यही सोच रहा था तभी मनोज जी हमारे पास आ गये और नाम बोले उसमे हमारा नाम था रोहित पंकज का लगभग सभी मित्र मंडली का नाम था |पंकज का नाम सुनकर हमें अच्छा लगा लेकिन पंकज अभी आया नहीं था |

                                जैसे ही हम लोगो को इशारा हुआ की अब चलना है तब तक पंकज आ गया तब हमने सोचा अच्छा हुआ पंकज भी चलेगा | अब हम लोग आपस में बात कर रहे थे की सच में जाने का मन नहीं है शायद सभी लोग यही बात कर रहे थे लड़के और लडकिया  भी | हम आप को बता दे डर भी था क्या होगा क्या नहीं शायद हम सब अंजन थे |लगभग हम लोग 11 बजे के आसपास हम और हमरे साथी लोग अपने महाविद्यालय से जाने की तैयारी में थे उसी दौरान हमारे पाठक सर आये जो इस महाविद्यालय परिवार के सदस्य है और साथ में हम आपको बता दे की इससे पहले NSS का कार्यभार डा० के एस पाठक जी ही देख रहे थे लेकिन वर्तमान समय में NSS कार्यक्रम अधिकारी डा० सुशील दूबे जी है |

            हम सभी लोग लगभग महाविद्यालय के गेट पर ही थेतभी डा० पाठक जी विनोद यादव से कहे की विनोद तुम सभी लोगो को साथ लेकर गंजारी चलो(लोकबन्धु राजनारायण कन्याविद्यापीठ गंजरी गंगापुर वाराणसी)हम लोग आ रहे है | तब फिर क्या था सभी लोग प्रस्थान कर दिये हम और हमारा एक साथी पंकज अभी वाही पर खड़े ही थे आपस में बात कर रहे थे की जाने का मन नहीं है हमारे साथी पंकज भी यही अभी वही खड़े थे आपस में बात कर रहे थे की जाने का मन हमारा भी नहीं है कुछ समय बीता लगभग 3 या 4 मिनट त्यों ही आवाज आयी की अरे मुकेश चलाना है या नहीं हमने उत्तर दिया हा चलना है फिर हम और कुछ लोग पीछे ही थे चल दिए चूकी गंजरी बहुत दूर नहीं है हमारे महाविद्यालय से इसलिये कुछ लोग पैदल ही चल दिये |

अगर मै सही हू तो सब आपस में यही बात कर रहे थे की जाने का मन नहीं है 50 विद्यार्थी में से लगभग सभी का यही हाल था बगल के विद्यालय को (इंटर कालेज )पार करने के बाद सड़क पर लगभग 100 मीटर जाने के बाद हमने पूनम और उषा को देखा जिनको हम बहुत पहले से जानते थे ये दोनों पैदल ही जा रही थी |हम और पंकज आगे निकले आगे चलते रहे और बाद में जब हमें पता चला की हम लोग बात करने में गंजरी विद्यालय को काफी पीछे छोड़ दिए तो हम लोग अपने पर हसे पुनः गंजरी विद्यालय पर वापस आयेतो हमने देखा की सभी लडकियाँ और लड़के यहाँ उपस्थित है कुछ समय बाद लगभग आधे घंटे बाद हमारे प्रबंधक महोदय माननीय राधे मोहन जी और प्रचार्य जी दूबे जी पाठक जी सब साथ में आये |

    कन्या विद्यापीठ के प्रांगण में सभी बच्चे और बच्चियाँ साथ में कन्या विद्यापीठ के जितनि बच्चियाँ थी वो हमरे बगल में बैठी थी तब तक मनोज जी आ गयेचुकि उन्हें व्यवस्था करना था इसलिएथोडा परेशान समझ में आ रहे थे दूबेजी ने हम लोगो से पूछा की कोई लड़का अभी नहीं आया है क्या तब सभी लडको ने बिना सोचे कहा की एक लड़के के पेट में दर्द है इसलिए वह दवा लेने गया है सर ने कहा ठीक है 10-15 मिनट के बाद हमारे रविकांत भाई आये जिनका नाम हम खुद अपने कानो से सुने थे इनका चयन हुआ फिर भी इन महाशय को जीतनी बार बताया जाय वि उतनी बार रोहित से बार बार पूछते की चयन हुआ या नहीं उत्तर में हम लोग हां बोल देते थे |

      कुछ समय बाद पाठक सर उठे उन्होंने हम लोगो के समक्ष कुछ बात रखी की जिसको भी नियम अनुशासन मर्यादा में न रहना हो तो वो लड़का या लड़की अभी भी समय है इस सात दिवसीय कैम्प से चला जाय या तो जिसे रहना है उसे नियमो और अनुशासन का पालन करना है साथ ही जो विद्यार्थी मनमानी करेगा वह NSS के साथ महाविद्यालय से भी उसका नाम काट कर निकाल दिया जायेगा साथ ही पाठक सर ने यह कहा की यही पर हमारे प्रबंधक महोदय जी है और प्रचार्य जी भी है |

      इसकेबादवहाँ पर उपस्थित सभी लोग NSSके बच्चे और अध्यापक महोदय साथ-साथ कन्या विद्यापीठ की छात्राये और अध्यापिकाये सभी लोग मिलकर सरस्वती बंदना किये | इसके बाद हमारे राष्ट्रीय सेवा योजना का उद्दघाटनमाननीय प्रबंधक महोदय जी के हाथो से सम्पन्न हुआ वहाँ पर हमारे पत्रकार भाई आये थे उनका नाम तो हमें पता नहीं लेकिन उन्होंने अपना काम बखूबी किया कुछ फोटो लिए शायद उन्हें देर हो रही थी इसलिये वे बगैर नास्ता किये चले गये |

      वहाँ पर उपस्थित सभी लोगो ने नास्ता किया तदुपरांत कुछ चुकुले आदि का कार्यक्रम हुआ जो NSS के सभी साथी और कन्या विद्यापीठ के छात्रओ के द्वारा संम्पन्न हुआ हमरे माननीय महोदय दुबे जी एक छात्रा के कार्यक्रम पर खुश होकर ईनाम भी दिये जो कन्या विद्यापीठ की छत्रा थी |लगभग पांच बजे दुबे जी सभी N.S.S. की छात्राओं  को घर जाने के लिए और नौ बजे पुनः वही कन्या विद्यापीठ विद्यालय में आने को कहाँ |

        सभी लडकियां चली गयी अभी हम लोग वहाँ ठहरे थे |हमारे सर भी थे दूबे जी ने हम लोगो से कहाँ आज तुम लोग घर जाओ अपने घर से विस्तर आदि चीजे अपने घर से लेकर सुबह 8 बजे लेकर यहाँ उपस्थित हो जाओगे हम लोग ने वैसा ही किया वहाँ से हम लोग 6 बजे  शांम को निकले अपने घर आये |मैं तो सभी के बारे में जनता नहीं लेकिन, मैं इतना महसूस कर सकता हू की लोगो में एक बेकरारी थी अगली तारीख 01/02/2014 को गंजारी पहुचने की,क्योकि सुबह हमारे मोबाईल पर दो तीन लोगो का फोन आया और सवाल एक ही था कि कब आ रहे हो भाई जल्दी आना |हमें लगता है कि पहला दिन था लोग एक दुसरे को जानते थे थोडा बहुत  पर किसी को कोई भलीभांति पहचानता नहीं था|

एक फ़रवरी कैम्पस का दूसरा दिन वही कैम्पस (गंजारी) पर सभी को आना था लगभग सभी लोग आ चुके थे मुझे पहुचने में थोडा देर हुआ अभी तक NSS कि छात्राये नहीं आई  थी|इधर  हम सभी लड़के आपस में परेशान  थे क्या किया जाय कुछ काम हम लोग मिलकर किये जो हमको बताया गया था साथियों घटना हम दिखा नहीं सकते पर वो मेरे दिमाक में है काम तो कुछ भी नहीं था लेकिन एक हडबडाहट बनी है तुमको ये करना उसको वो करना हमको फला  चीज करना है आदि |

      अचानक जैसे सूखे हुए चमन में बहार आ जाने के बाद मुरझाई कालिया भी खिल उठती है और बाबुल की बगियाँ भी दूर से फूलो के जैसी दिखती है वैसा हाल बच्चो का तब हुआ जब भूले भटके मनोज जी सुबह लगभग 9 बजे वहाँ मानो प्रगट हुये, ऐसा हल सबका था की नहीं मालूम तो नहीं लेकिन मै ऐसा महसूस किया |

    जब मनोज जी आये तो एक बड़ी दरी मगवाये और एक कमरे की सफाई करवावे फिर हम लोग उस दरी को उस कमरे में बिछाये हम लोग उसमे बैठे जब मनोज जी जाने लगे 20-25 मिनट बाद तो बोले तुम लोग इसी कमरे में बिना शोर गुल मचाये रहोगे मुझे शिकायत न मिले ,अब धीरे- धीरे  लडकियाँ भी आने लगी हमें नहीं पता कि सबसे पहले कौन आयी थी |

    कुछ समय पश्चात लगभग 10  बजे तक सभी लडकिया आ गयी,तभी दूबे जी और पाठक सर भी आ गये फिर सर कुछ बच्चो को भोजन का सामान लाने के लिए बाजार भेजे लड़के लडकियाँ सभी प्रांगण में बैठे थे , दोपहर का समय लगभग हो चूका था सभी टीचर जो आये थे वो हम लोग के साथ बैठे थे |लगभग तीन बजे  तक गीत चुटकुले आदि का कार्यक्रम हुआ उसके बाद भोजन भी तैयार हो चूका था सभी अध्यापक और अतिथि साथ में भोजन किये उसके बाद सभी लडकियाँ भी भोजन की |

      समय काफी हो  चूका था लगभग 5 बजे दूबे सर लडकियों को घर जाने के लिये कहे, लडकियों ने ऐसा ही किया हमारे मनोज सर वही हम लोगो के साथ थे सभी बच्चे भी भोजन किये भोजन क्या किये भोजन पर टूट पड़े सभी को भूख बड़ी जोरो की लगी थी |मैंने तो वैसा ही किया जैसा अन्य कार्यक्रम में करते थे लगभग सबसे अन्त में खाने का प्रयास और अंत में साथ देने के लिये कोई न कोई मिल ही जाता था यहाँ भी हमें रोहित और विनोद भारती मिले हमने साथ खाना खाया |

       6 बजे तक सर चले गये आज तो हम लोग को वहाँ से आना नहीं था वही पर सोना था परेशानी थी क्योकि पहला दिन था |इस सभी पत्रों में एक पात्र में एक पात्र का हमने अभी चर्चा नहीं किया हलाकि भोजन करने के लिये महाविद्यालय के कुछ कर्मचारी आते थे जैसे सुनील सतीश आदि उन्ही कर्मचारीयो में एक जयशंकर सिंह थे जिनको NSS के लड़के उनको चाचा कहकर बुलाते थे यही एक व्यक्ति थे जो सुबह में भी रात 8 बजे 9 बजे तक हम लोगो के साथ रहते थे रात में लगभग 9 बजे के आसपास सब लोग एक ही कमरे में सोने के लिये बिस्तर लगा लिये बिस्तर पर हम लोग जमकर शरारत किये |

     हेलो भाई साहब कहाँ खो गये शरारत का मतलब मारपीट वाला नहीं हसी ठिठोली वाला शरारत फिर क्या सब लोग सो गये सोये कहाँ नींद कहाँ लगे मेरे लिये एक तो नयी जगह ऊपर से मच्छर,शायद यही हाँल सबका था किसी तरह रत गुजरा सुबह हुआ दिन का तो पता नहीं तारीख 2 ओह याद आया उस दिन रविवार था क्योकि कन्या विद्यापीठ की विद्यालय बन्द था |

       सुबह 7 बजे तक सभी लोग तैयार हो गये सभी लोग का मतलब पूरे लडको से नहीं केवल उन लडको से है जो वहाँ रुके थे,हम सब चना और गुड खा रहे थे ये चना औरे गुड लेन वाले चाचा थे आज तो पहले दिन की बहती जादे परेशानी नहीं थी काम पहले दिन के जैसा था |डूबे जी आये और भोजन का सामान मगवाये कुछ लडकियाँ भोजन बना रही थी उसमे एक वीर धीर रणधीर भाई मुलायम सिंह यादव हम लोग उसको यादव पुकारते थे |

      वो ही थे जो भोजन पकाने में लड़कियों की मदत करते थे साथ में और एक दो साथी थे यादव जी भोजन बनाना जानते थे,और थोडा चलबल किस्म के इन्सान भी थे इसलिये एक दो दिन में सरे लोग उनको जन गये थे |आँज भी सब कुछ एक तारीख जैसा था पर परिवर्तन इतना था की दोपहर में गीत चुटकुले आदि का कार्यक्रम हो रहा था तभी एक LIC के मैनेजर आ गये उनको आने के बाद भी गीत का कार्यक्रम चल रहा था हम लोग को तो पता नहीं लेकिन सर से पता चला की मैनेजर सर कविता लिखते है और हम सभी लोग उनकी कविता सुनेगे | 

     हांलाकि सभी लोगो को उत्कंठा हुआ हो या नहीं पर मुझे हुयी थी क्योकि मै भी लेखन का कम करता हू |उन्होंने कविता सुनाई मै आजाद हू "चंद्रशेखर आजाद देश भक्त ही नहीं भारत माँ के सच्चे सपूत थे ,यह कविता काफी बड़ी थी मैनेजर जी के कविता के बाद खुद मुझसे रहा नहीं गया मैंने भी अपनी पहली रचना 'आओ हम शपत ले " सभी को सुनाया कार्यक्रम के बाद भोजन हुआ जैसा की पहले दिन हुआ ,पांच बजे लडकिया पहले के भाति अपने घर चली गयी बच्चे क्या करेगे वही रहेगे कहाँ जायेगे विचारे पहले के अपेक्षा सभी लड़के एक दुसरे से ज्यादा घुल मिल गये थे इसलिये सब कुछ अब अच्छा लगने लगा था मटरगस्ती करते हुये रत बीती |

फिर सुबह तारीख 3 था दिन सोमवार आज के दिन हम लोगो ने एक अच्छा कम किया इस काम को करने के लिये किसी ने कुछ नहीं कहाँ शुरुआत हम दो तीन ने किया साथ सभी ने दिया यहाँ तक की जब लड़कियां आई तो उन्होंने भी वे झिझक निःसंकोच गंजरी विद्यालय के प्रांगण के सफाई में लग गयी हम सभी लोगो ने मिलकर कार्य को बेहतर अंजाम दिया ,पता नहीं लोग अपने घर की सफाई करते थे की नहीं पर वहाँ हमने महसूस किया कि हर लोग बहुत खुश थे| 

       इस सफाई वाले कार्य से शायद इसलिये की हर लोगो को बोनस अंक हासिल होने वाला है ,तभी सर आये रोज की तरह गीत संगीत हुआ लेकिन आज महाविद्यालय की एक मैम आयी जो संस्कृत पढ़ाती थी साथियों मैम तो सभी की मैम थी ज्यादा मात्रा में लड़के लडकियां उनको पसंद करते थे पर मै स्वयं उन्हें आदर सम्मान देता था क्योकि उनमे  हमारी स्वर्गीय दादी की झलक मिलती है | 

    आज के दिन हम लोग मिलकर जागरूकता रैली गाँव में निकाले रैली के लिये सामाग्री हम लोग पहले से इकठ्ठा कर लिये थे इतने दिन बाद हम लोग NSS के अध्यक्ष को देखे रैली के बाद वही कार्यक्रम हुआ जो रोज होता रहा है वह कार्यक्रम था भोजन का |मित्रो एक बात बता दे आपको हमने महसूस किया की भोजन के बाद लडकियों और सर के चले जाने के बाद बाकी बचे लड़के एकदम बिंदास हो जाते थे स्वयं मै भी बड़ा अच्छा महसूस करता था जैसे बारिस के बाद धूप होने पर प्रकृति सुन्दर दिखती है वैसी हालत लगभग सभी लोगो की थी |

       साथियों तीन तारीख को रात में क्या हुआ आपको पता नहीं अरे भाई पता कैसे होगा जब हम बतायेगे तो न आप जानोगे |वैसे कुछ हुआ तो नहीं था फिर भी एक झलक में -हमने सर से तीन तारीख को रात में छुट्टी मागी थी क्योकि हमारे गाँव में सरस्वती पूजा हर साल होता है वह भी सुबह में इसलिए हम शाम को सात बजे अपने घर को चल दिए लगभग हम आठ बजे घर पर आ गये मम्मी हमारी बोली की छुट्टी हो गया क्या हमने कहाँ गाँव के पूजा में आये है सुबह चले जायेगे ,रात में मै भोजन किया और सो गया | हमारे गाँव में पूजा की तैयारी लगभग 3 बजे भोर से हो रही थी और सुबह होते होते पूजा संम्पन हुआ और पूजा करके हम सीधे गंजरी न जाकर मै महाविद्यालय गया क्योकि मुझे वही बुलाया गया था |

 चार तारीख को अपने  महाविद्यालय पर मिट्टी का कार्य शुरू था मै ज्यादा देर नहीं था फिर भी सभी NSS के साथी आ चुके थे |तीन तारीख के रात में कैम्पस में क्या हुआ मुझे नहीं पता क्योकि मई अपने घर था |मुझे चार तारीख को नौ बजे कही अन्यत्र जाना था और जाने का परमिशन मुझे दूबे सर और पाठक सर से दो दिन पहले ही मिल चूका था ,हमारे कालेज में भी सरस्वती पूजन का आयोजन था सभी NSS के बच्चे और कालेज के बच्चे शामिल थे पर दुर्भाग्य से मै नहीं था |

     मै लगभग चार-पांच बजे सीधे गंजारी कैम्पस में पंहुचा सभी लड़के भोजन कर चुके थे मुझे भोजन नहीं करना था क्योकि मै पहले से ही भोजन कर चूका था सब जगह पूजा सुबह हुआ लेकिन कैम्पस के बगल में गाँव वाले सरस्वती पूजा रात में किये सभी लड़के घूम फिर कर आठ बजे तक आ गये रूम में विस्तर लगाकर जैसे भांग दारू पीने के बाद लोग बर्ताव करते है वैसा वर्ताव एक दूसरे से लोग करने लगे कोई किसी से कम नहीं था हरकते जारी थी | 

     जैसे गाना गाना विस्तर फेकना एक दूसरे को सोने न देना लगभग यह मस्ती रात 10 बजे तक चली अब क्या था बगल में जो पूजा हों रहा था वहां पर रंगारंग कार्यक्रम हो रहा था सभी लोग एक अधिकार जताते हुए जबरजस्ती सभी लोगो को उठाये और जिस रूम में हम लोग सोते थे उस रूम को बंद करके चाभी किसी एक लड़के के पास रख लिया गया ठंडी भी थी सभी लोग गये और पहले अलाव के पास बैठे उसके बाद लोग DJ के गानों पर उछल कूद करने लगे कोई डांस भी किया डांस तो कम मस्ती ज्यादा हो रही थी |

          इस तरह से लगभग दो घंटे बाद १२ बजे रात एक सफ़ेद गाडी आयी अब सभी लोग गाड़ी देखकर इतना तेज रूम के तरफ़ भागे जैसे बर्फीली बारिस शुरू हो गयी हो गयी हो |भागे तो भागे लेकिन डांस करते समय जो कुछ सामान वही रखा था शर्त स्वेटर टोपी जूता चप्पल आदि सामान सभी लोग छोड़कर भागे मै भी अपना चप्पल छोड़ दिया था,फिर मई आया तुरंत चप्पल लिया साथ में सब लोग अपना सामान लिया वापस हुआ तो पता चला कमरे की चाभी लापता है किसी तरह मिली और रूम खुला उधर पता चला की जिस दर सब लोग भूतो की तरह तेजी भागे थे उस गाड़ी में दूबे सर नहीं कोई नेता थे वैसी ही गाड़ी अपने दूबे सर की भी थी इस लिये सब डर भागे थे उसके बाद सच का पता चलने पर हम लोग अपने पर हसे और फिर सो गये |

फिर सुबह 5 तारीख को दिन बुद्धवार के दीन कुछ हुआ नहीं होता कैसे किसी ने कुछ बताया नहीं न मनोज जी न हीं सर ने कुछ बताया | अपने मन से लोग क्या करते करते तो चार बात सुनते तभी लगभग 9 बजे पाठक सर आ गये उन्हें कही जाना था तो बच्चे इधर उधर न जाये इसलिए सर ने कहाँ तुम लोग इस रूम में बैठ कर अन्ताबछरी खेलो आपस में एक तरफ लड़का एक तरफ लड़की| हम भी कमरे में बैठे थे हमें लगा नहीं की ऐसा होगा लेकिन मै गलत था |सर जाते जाते बोले की शोर मत करना बहार क्लास चल रहा है |

       वैसे यह बात सभी जानते है की लडकियों से गाने के मामले में पार पाना बड़ा मुश्किल काम है लडको में केवल चार छः लड़के गाना गा रहे थे एक सुनील था जो अधिकतर गाना वही गा रहा था उसके बाद दीपलाल मुलायम महानंद भी था कुछ समय बीता गीतों का सिलसिला चलता रहा एक घंटा बीतने पर सभी लड़के मिलकर गाना गाने लगे थे परन्तु लडकियों में एक दो लड़की ऐसी थी जिनको गाना न आये तब कोई दूसरी लड़की गीत गाये एक नाम चंचल था अगर इससे कभी छूटे तो लक्ष्मी थी और इनसे जब कभी मिस हो जाये या ना आये तब सुनैना थी इन सब के बाद हमें नहीं लगता था |

      किसी और लड़की को गाना गाने की जरूरत पड़े ये तीन सभी लडको पर भरी थी गानों के मामले में | इस गाने के कार्यक्रम के साथ भोजन का कार्यक्रम हो रहा था कुछ लड़की भोजन बना रही थी 2 -3 घंटो तक गीतों का सिलसिला चला कोई पक्ष हरा नहीं लेकिन एक या आधा घंटा और गीत गाना होता तो लड़के हार ही जाते |

     तब तक दूबे सर कही से आ गये कही न कही इस दिन हमने देखा की दूबे सर आते ही हम लोगो पर न जाने क्यू बरस पड़े ,तुम लोगो को VIP व्यवस्था चाहिये तुम लोग मनमानी करते हो या वा आदि | शाम को पाच बजे तक भोजन हुआ लडकिया  अपने घर को गयी और सर भी गये ,फिर रात आठ बजे से वही हुआ जो रोज होता रहा लेकिन आज जयशंकर चाचा देर रात तक समय दिये क्योकि उनका घर पास में ही था |

      आज रात को एक परिवर्तन देखने को मिला वो ये की मनोज जी हम लोगो के साथ आज रात को सोयेगे ,काफी रात तक नाटक गाना आदि चीजे हुयी उस रात को हमने देखा की मनोज जी से कोई डर नहीं रहा था किसी तरह बार बार मना करने पर लड़के मस्ती करते ही रहे पर जब मनोज जी भयंकर रूप धारण किये अर्थात जोर से बिगड़े तब कही जा कर लोग सोये और सुबह में ही उठे |

आज 6 तारीख दिन गुरुवार सुबह उठकर हम लोग को  साफ सफाई करना था क्योकि आज समापन का दिन था इसलिये सांस्कृतिक कार्यक्रम भी था लगभग 12 बजे तक सभी सर आ गये साथ -साथ पूरा महाविद्यालय परिवार कर्मचारी से लेकर पूरे अध्यापक भी आ गये कन्या विद्यापीठ की अध्यापिका भी आज रुकी थी आज कुछ बच्चे भी भोजन मिलकर बना रहे थे और कुछ लोग बहार कार्यक्रम भी प्रस्तुत कर रहे थे |

      हमारे NSS के साथी कार्यक्रम अच्छा प्रस्तुत किये यहाँ तक की एक कालेज की लड़की के कार्यक्रम पर खुश होकर 5 सौ रुपये का नगद इनाम माननीय राधे मोहन जी के हाथो से डूबे जी दिये| आज मै भी बहुत खुश था क्योकि वहां शेषनाथ राजन अलोक अखिलेश आदि सर आये थे मेरी बात राजन सर से हुयी उन्होंने ने मुझसे कहाँ की तुम भी कुछ कहो तब मैंने उनसे कहाँ की नम्बर में है सर |

       हमारा दुर्भाग्य रहां की मुझे अवसर ही नहीं मिला लेकिन एक कार्यक्रम में मै और मेरे सभी साथी महानंद का साथ दिए जो एक गीत महानंद गा रहा था |कार्यक्रम संपन हुआ सभी अध्यापक और अतिथि आदि लोग भोजन किये | भोजन की तारीफ सब लोग कर रहे थे स्वयं राजन सैर भोजन की तारीफ किये ,दूबे सर और मनोज जी भी चले गये | 

     फिर हम लोग मस्ती में भोजन किये जैसे ही हम लोग भोजन करके खाली हुये मानो हम लोगो के ऊपर पहाड़ गिर गया हो | चूकी मनोज जी फोन किये और कहे की आज ही सभी लोगो को अपने घर को जाना है दूबे सर ने अभी अभी फोन करके बताया है की सभी लड़के को कह दो की सभी लोग अपने अपने घर चले जाये | 

      अचानक ऐसा सुनकर किसी को अच्छा नहीं लगा आने का मन किसी का भी नहीं था यहाँ तक मेरा स्वयं का |लेकिन सब मजबूर थे क्या करते लगभग 6 बज रहे थे सभी एक दूसरे से विदाई ले रहे थे | कोई किसी से मोबाईल नम्बर ले रहा था ऐसा करने के बाद लोग अपना बोरिया बिस्तर उठाये और अपने घर को गये मै थोडा बेचैन था नजाने क्यू घर आकर मै सोच रहा था की एक समय था जब जाने का मन था लेकिन अंतिम दिन आने का मन नहीं था मन भी अजीब है | 

      जहाँ तक मै समझ रहा हूँ की सभी लोगो को बिछड़ने का दुःख हुआ होगा | यह मेरा अनुभव है की जिसके साथ कुछ दिन बिता लो अगर बिछड़ते है तब ये आखे उनको ढूढती है चूकी कैम्प में रहना एक नयी अनुभव था | इसलिये दो चार दिन तक कैम्प में हुयी अच्छी बुरी क्रिया प्रतिक्रिया याद आते रहे और शायद सभी के साथ ऐसा हुआ हो मेरे साथ पहले ऐसा होता नहीं नहीं था लेकिन थोडा बहुत मई भी बेचैन हुआ |

प्रिय पाठको हम आपको बता दे की इस कैम्प में लड़के और लडकिय मिलकर 50 लोग थे जिसमे मात्र 16 लड़के और 34  लडकियाँ थी |दीपलाल ,मुलायम सिंह यादव, रोहित, विनोद भारती , पंकज ,रवि शर्मा, रविकांत मौर्या,सर्वेन्द्र ,राजेन्द्र, और एक मै ये सब लोग BA द्द्तीय वर्ष के लोग थे और सुनील ,विनोद यादव ,दिलीप यादव ,देवानंद  ये लोग प्रथम वर्ष के छात्र थे | लड़कियां तो 34 की संख्या में थी लेकिन सबका नाम मुझे याद नहीं कुछ इस प्रकार है संध्या ,लक्ष्मी , पूनम , उषा ,मीनाक्षी ,चंचल काबुली ,रेनू ये सब BA द्द्तीय  वर्ष छात्राये थी और बन्दना ,रूबी ,पिंकी , जूही,रानी, पूजा , सुनैना , ये सब लोग BA प्रथम वर्ष की लडकिय थी और लोगो का नाम नहीं पता लेकिन चेहरा लगभग सबका याद है |

वैसे मै आपको बता दू की कैम्पस खत्म होने के बाद शायद लोग एक दूसरे को ढूढने और मिलने की कोशिश किये हो ऐसा क्यू होता है ये तो पता नहीं लेकिन मै इतना जनता हूँ की कही न कही एक रिस्ता सा कायम हो जाता है | खैर सबकी बात तो नहीं बता सकता क्योकि किसके दिल में क्या चल रहाँ था क्या नहीं लेकिन मै सबसे मिलने का प्रयास ही नहीं किया वरन सबसे मिला क्योकि मेरे मिलाने का उद्देश्य कुछ और था |वैसे मिलाने को तो मै हमेशा मिलाता हू लेकिन इस बार मिला तो सब कैम्प में शामिल हुये लड़के और लडकियों से एक सवाल पूछा की आपको यह सात दिवसीय NSS कैम्प कैसा लगा सबने तो नहीं बताया कुछ ने बताया कुछ ने यहाँ तक कहाँ की क्या करोगे जान कर जो सज्जन जबाब दिये वो इस कदर है |

विनोद भारती- विनोद भारती BA द्द्तीय वर्ष के छात्र है जो हमारे साथ पढ़ते है ये जनाब हसमुख किस्म के व्यक्ति है लेकिन हमारा दुर्भाग्य है की हम इनसे कैम्प से पहले नहीं मिले | इनका कथन :मुझे इन सात दिनों में ऐसा लगा जैसे मनो मैंने पूरी दुनिया घूम ली बहुत सारे दोस्त हुये भाई चारा क्या होता मुझे NSS के जरिये पता चला और मै गुरुजनों का शुक्रगुजार हूँ की मुझे इन 50 लोगो में शामिल किया गया साथ ही मई चाहूगा की ये मौका बार बार आये |

रोहित -रोहित और मै प्राचीन इतिहास साथ पढ़ते थे इसलिये मै इसको शुरू से जनता था | इनका कथन : यह कैम्प बहुत मजेदार था साथ - साथ हर पल अनुशासन के अन्दर रहकर अनुशासन का पालन करना सीखा अर्थात इसके कसौटी में रहकर किसी अंजान भाई एवं बहनों से हमें जो प्रेम मिला वह अतुलनीय है |

राजेन्द्र -इनका कथन : यह कैम्प मुझे भी बहुत अच्छा लगा हमें इसी तरह भाईचारे की तरह आपस में प्रेम बनाकर रहना चाहिये मुझे NSS के जरिये बोलने में जो झिझक थी वह दूर हुयी \

रवि - इनका कथन : मुझे कैम्प में मजा आया सिखने को बहुत कुछ मिला अनुशासन में रहकर कार्य करके हमें बहुत अच्छा लगा |

महानंद -इनका कथन : मुझे यह कैम्प बहुत अच्छा लगा और जो डर था बोलने डोलने में इस कैम्प के जरिये निकल गया |

रविकांत -:ये पड़ने में ठीक था ये प्रथम वर्ष में अच्छा अंक प्राप्त किया था इसका कथन :इस कैम्प में सभी दोस्त मिले जो अन्दर झिझक थी वह लगभग समाप्त गो गयी और कुछ सिखने का मौका मिला किसके प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिये मुझे इस कैम्प के जरिये मालूम हुआ |

पंकज गुप्ता - इनका कथन :मुझे यह कैम्प बहुत अच्छा लगा वहां के लोग वहां के दोस्त वहाँ का वातावरण सब कुछ अच्छे थे जो अन्दर की  झिझक थी वह समाप्त हुयी 

संध्या -इनका कथन :NSS के जरिये हमें ये सीख मिली की हम सामाजिक बुराईयो को दूर करने का प्रयास अच्छी तरह से कर सकते है साथ साथ हमें वहां पर जो भाईचारे का जो दृश्य मिला शायद वह कही देखने को न मिले |

मुलायम यादव -इनका कथन :मुझे बहुत अच्छा लगामुझमे जो बात करने की जो कमी थी वह इस कैप के जरिये दूर हुयी जो कुछ बुराई थी वह दूर हुयी |

मीनाक्षी -इनका कथन : मुझे यहकैम्प बहुत अच्छा लगा साथ ही मुझे कैम्पस के पास में जो मंदिर है उसमे समय बिताना बहुत अच्छा लगा |

चंचल काबुली -इनका कथन : हम साथ -साथ रहकर कैम्प के जरिये समाज की बुरईयो को दूर कर सकते है अगर प्रयास कर सके तो यह प्रोग्राम मुझे बहुत अच्छा लगा मै चाहती हूँ की सभी लोग इस NSS में बढ़ चढ़ कर भाग ले |

सर्वेन्दर -इनका कथन : इस कैम्प के जरिये हमारे अन्दर जो डर था वह निकल गया |

सुजीत - इनका कथन : सात दिन हमें बहुत अच्छा लगा ऐसा समय जीवन में दुबारा नहीं मिलेगा साथ ही हमें बहुत कुछ सिखने को मिला एक दुसरे को जानने का मौका मिला |

लक्ष्मी - इनका कथन :यह कैम्प मुझे बहुत अच्छा लगा और कुछ सीखने का मौका मिला |

प्रिय पाठको मै और NSS के साथियों से मिलने का प्रयास किया लेकिन मै सफल नहीं हो पाया साथियो देखा जाय तो हर व्यक्ति कही न कही कुछ सीखता ही है चाहे वह NSSकैम्प हो या स्कूल हो या खेलकूद का मैदान  शादी विवाह ही क्यू न हो सीखने वाला व्यक्ति खुद सीखता जरुर है| साथियों यह सच है की कालेजो जब ऐसा अवसर अता है तब बहुत लोग सफल होते है आगे चलकर यही लोग बड़े बड़े कारनामे भी करते है हर स्कूल कालेज में ऐसा कर्यक्रम हो मै ऐसा हमेशा चाहुगा |

    साथियों यह सच है की खोदने से पहाड़ खुदता है | मेहनत और लगन से मंजिल मिलती है |बचपन का बिगाड़ा बालक आगे चलकर संत स्वामी विवेकानंद बन सकता है दुनिया को न जानने वाला व्यक्ति सिद्धार्थ बुद्ध बन सकता है तो हम क्यों नहीं बेहतर बन सकते है |इस तरह से मित्रो हमारी सतादिवसीव NSS  कैम्प सफल रहा और नीचे यह प्रेरणा भरी कविता आपके लिये जिसको मै सबसे पहले लिखा था | आओ हम शपथ ले 

आओ हम शपथ ले कि हम दुनिया बदलकर दिखलायेगे

1 बहते हुए उस हवा के रूप को मोड़ लायेगे 

बहती हुयी उस नदी की धारा को मोड़ लायेगे 

चलते हुए उस राही के मन को मोह लायेगे 

आओ हम शपथ ले ------------

2 तुम साथ दो मेरा तो चाद तारो को भी लायेगे 

उस पहाड़ की तरह दृढ़ आदर्श बनकर दिखायेगे 

अपनी प्रेम की शक्ति से हम दुनिया को सजाकर दिखायेगे 

आओ हम शपथ ले -----------------

3 सीखा है यह आदर्श जिससे उसे कभी भूल न पायेगे 

उस फूल की तरह हम भी सारे जहा को महककर दिखायेगे 

हम भी राम कृष्ण महावीर बनकर दिखायेगे 

आओ हम शपथ ले  ----------------

                                                                                             मास्टर मुकेश (16 /06/2014)














 

 

 



         

 

    

 



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