प्रिय बासुरी


 1-हे बासुरी तेरा मुख कहा जिससे मै उपदेश सुनु 

बता तेरे चरण कहा जिसको मै पकड़कर चुमू 

तुझे मुझपे दया आना स्वभाविक है 

अब तू ही बता मै तेरे लिए सच में क्या करू 

2- हे बासुरी तुझमें कोई कमी नहीं मै यह जनता हू 

तू अपने जगह सही है इसको भी मै मानता हू 

मुझको तो पता नहीं सही गलत अब तू ही मुझे बता दे 

मै और तू मित्र सा हो जाऊ ऐसा क्या प्रयत्न करू 

3-हे बासुरी तू रही कभी साथ महामानव के हाथ में 

तुझे गुमान है भूल मत गोपियों की सौत बनकर रही साथ में 

क्या मुझमे पात्रता नहीं है तेरे लायक 

जो सही हो तुझे पसंद हो बता वैसा ही मै प्रयास करू 

4- हे बासुरी तू ही प्रेम की धता है 

मै तो मानता हू तू ही भाग्य विधाता है 

कही ऐसा तो नहीं तू मुझे अधम मानती है 

अब तू ही बता जिससे मै अगम बनू आज से ही वैसा प्रयास करू 

5- हे बासुरी क्या तुझे कृष्ण ही प्यारे थे 

वो तो अगमपुर वासी और सबके दुलारे थे 

मै भी छोटे कण की भाति उन्ही का उपहार हू 

अब भी मान जा आ मिलकर एक नई शुरुआत करू 

6-हे बासुरी तू मुझसे इतनी रूठी क्यों है 

तेरे और मेरे बीच में इतनी दुरी क्यों है 

बजती तो है तू कही न कही औरो के हाथ में 

अब मै हार गया सच में तू ही बात तेरी नाराजगी कैसे दूर करू 

7- हे बासुरी तू मुझसे बस एक बार साध जाये 

तब देखना हम दोनों दो शारीर एक जान हो जाये 

ऐसा विश्वास है एक दिन तू मुझे जरुर अपनायेगी 

लेकिन देर न हो जाये इस एक कारन से मै हमेशा डरा करू 




मास्टर मुकेश 



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